अध्यात्मिकG1 या अध्यात्मिक विचार 1
प्रभु प्रेमियों ! सूक्तियाँ, चौक-चौराहा पर लिखे हुए उस बोर्ड के समान है, जो दिशा सूचक का काम करता है। यात्री अपने गंतव्य पर जाते समय रास्ते में जब संकित हो जाता है कि हमें किधर चलना चाहिए ? आगे कैसी स्थिति है? रास्ता क्लियर है या नहीं? किस दिशा में जाने पर हम जल्दी अपने गंतव्य पर पहुँच पायेंगे इत्यादि बातों सेसे; तब ये दिशा-सूचक बोर्ड बहुत सहायक होता है।
हमारे जीवन रूपी पथ पर चलते समय संत-महात्माओं की सूक्तियाँ इन्हीं दिशा-सूचक, सावधानी सतर्कता के बोर्ड के समान है। आइये यहाँ कुछ महापुरुषों के कुछ सूक्तियों का पाठ करें--
अंतरी और बाहरी पवित्रता में महत्वपूर्ण कौन
प्यारे लोगो !
"अपने शरीर को शौच से पवित्र करो । किंतु इतने से ही यह पवित्र नहीं होता है । हृदय की पवित्रता असली पवित्रता है । हृदय में पाप - विचार न आने से हृदय पवित्र होता है । हृदय में पाप - विचार आने से पाप करते हैं । इस पाप - विचार से लोगों को डरना चाहिए । पाप - विचार करने से बाहर में लोग नहीं देखते हैं , किंतु परमात्मा सभी जानते और देखते हैं । यदि कोई पाप करता है, तो परमात्मा के सामने करता है ; क्योंकि परमात्मा सब जगह है । बाहर में भी यदि कोई किसी को पाप करते देख लेता है, तो लोग उसे दुरदुराते हैं । इसलिए पाप नहीं करना चाहिए । पाप करनेवाले को लोग लजाते भी हैं ।"
S119
|
सुरत, जीव और चेतन आत्मा |
| लालदास की सूक्तियाँ |
|
| लालदास की सूक्तियाँ |
|
प्रभु प्रेमियों ! उपर्युक्त सूक्तियों के जैसा ही हजारों सूक्तियों का संग्रह "
नीति सार, सुभाषित संग्रह, मानस की सूक्तियां आदि छोटी-छोटी पुस्तकों में किया गया है। इन सभी पुस्तकों का मूल्य कम है। आप इन सूक्तियों की पुस्तकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन में "सत्संग ध्यान स्टोर" से मंगा सकते हैं। सूक्तियों के सभी प्रकाशित पुस्तकों को एक साथ देखने के लिए 👉
यहाँ दवाएँ। सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए शर्तों के बारे में जानने के लिए. 👉 यहां दवाएँ।
---×---
कोई टिप्पणी नहीं:
कृपया वही लोग टिप्पणी करें जिन्हे कुछ जानने की इच्छा हो । क्योंकि यहां मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास का कार्यक्रम चलता है। उससे जो अनुभव होता है, उन्हीं चीजों को आप लोगों को शेयर किया जाता है ।फालतू सवाल के जवाब में समय बर्बाद होगा। इसका ध्यान रखें।