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सत्संग 01 सत्संग किसे कहते हैं? satsang kise kahate hain? || सत्संग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

सत्संग /01

     प्रभु प्रेमियों !  सत्संग ध्यान के क्रमानुसार परिचय में सत्संग नामक शीर्षक में हमलोग मनुष्य जीवन में  कई तरह के साधु-महात्माओं के सत्संग-कार्यक्रम सुनते हैं। उन सत्संगों में सत्संग से संबंधित कई तरह की बातें कई तरह के साधु महात्माओं से सुनते हैं।  इन महापुरुषों में सर्वोत्तम सत्संग कौन-सा है? असली सत्संग क्या है? सत्संग कैसे करना चाहिए? हमें अपने जीवन में किनका अनुसरण करना चाहिए? आदि बातों की जानकारी प्राप्त करेंगे। 

सत्संग करते साधु-संत और भक्तगण
सत्संग करते साधु-संत और भक्तगण

सत्संग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

      प्रभु प्रेमियों ! मनुष्य जीवन में हम लोग जब सबसे अधिक उदास रहते हैं ।  किसी समस्या से ग्रस्त रहते हैं, परेशान रहते हैं अथवा बेले रहते हैं। कोई काम में हमारा मन नहीं लगा रहता है । हम अपने पूर्व संस्कारों से भक्ति भावना ग्रस्त रहते हैं, हमें  किसी तरह से कोई समाधान भी इन समस्याओं से नहीं मिलता है, तो हमलोग ऐसी परिस्थिति में साधु-महात्माओं का संग करते हैं और जब उनका सत्संग करते हैं, तो हमें वहां कई तरह की बातें सुनने के लिए मिलती है और हम लोग अपने जीवन में कई तरह के साधु महात्माओं से भी भेंट करते हैं। तो इन महापुरुषों में सर्वोत्तम सत्संग कौन-सा है ? हमें अपने जीवन में किनका अनुसरण करना चाहिए? जिससे कि हमारा इहलोक और परलोक दोनों सुखी हो और अंत में हमें मोक्ष की प्राप्ति हो जाय। 

     सत्संग के बारे में उपरोक्त बातों को मूल में रखते हुए सत्संग ध्यान के क्रमानुसार परिचय में हमलोग निम्नलिखित बातें सीखेंगे-- 
1. सत्संग क्या है ? सत्संग क्यों करना चाहिए? 
2. सत्संग करने के क्या फायदे हैं ? 
3. सत्संग का जीवन में क्या महत्व है? 
4. सत्संग कितने प्रकार का है? 
    क. आंतरिक सत्संग किसे कहते हैं? 
    ख. बाहरी सत्संग क्या है? 
    ग. किस सत्संग से हमारा कल्याण होने वाला है? 
5. असली सत्संग का क्या मतलब है ? 
6. सत्संग की परिभाषा, 
7. सत्संग के कार्य है, सत्संग का महत्व, 
8. सत्संग का लाभ
9. सत्संग से हानि, सत्संग का प्रभाव

और भी बहुत सारे सवाल होंगे जिनकाे हम इस सत्संग नामक चैप्टर में बाद में संलग्न करेंगे.  

     प्रभु प्रेमियों   !  उपर्युक्त उदाहरणों को पढ़कर आप लोग समझ गए होंगे कि सत्संग में किन-किन विषयों पर चर्चा होती है और सत्संग में किन-किन विषयों की जानकारी होनी जरूरी है. उपर्युक्त उदाहरणों में बहुत सारे विषय हो जाते हैं,  इन सभी विषयो को अनेक भागों में बांट करके हम लोग सत्संग के विभिन्न अंगों का  परिचय विभिन्न पोस्टों में करेंगे। 

     तो आज सत्संग से संबंधित है जो मुख्य मुख्य जानकारी की बातें हैं वह आप लोग समझें । 

सत्संग किसे कहते हैं? satsang kise kahate hain? 

     प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के प्रतिनिधि ग्रंथ  ' सत्संग - योग '  की भूमिका में सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज शुरू में ही लिखते हैं -  "सत्पुरुषों- सज्जन पुरुषों साधु - सन्तों के संग का नाम ' सत्संग ' है | इनके संग में इनकी वाणियों की ही मुख्यता होती है । सत्संग - योग ' के तीन भागों में इन्हीं वाणियों का समागम है । अनेक सत्पुरुषों और सन्तों के संग का प्रतिनिधि स्वरूप यह ' सत्संग - योग ' है ।"

3. सत्संग का महत्व,

{ आज आप क्या देखते हैं ? देश में अनेक ख्याल - विचार - धाराएँ हैं । एक कांग्रेस है , जिसका राज्य शासन है , दूसरा सोसलिस्ट - समाजवादी और तीसरा साम्यवादी है । ये तीनों हमसे पूछते हैं कि तुम क्या कहते हो ? तुम शरीर और संसार से अपने को छुड़ाने के लिए कहते हो , इससे देश को क्या फायदा होगा ? इस प्रश्न का उत्तर सुन लीजिए और इसमें अगर देश को कोई फायदा हो तो चुन लीजिए । इस सत्संग के उपदेशों में क्या है , सुनिये । जो सदाचारी होगा , वह शरीर और संसार को छोड़ेगा , वही आत्मज्ञान में ऊँचा होगा और माया के आवरणों को पार करेगा । अपने को ऊँचा चढ़ावेगा , ऊँचे - से - ऊँचा पद जिसे मुक्ति कहते हैं , प्राप्त करेगा । जिसमें सदाचार की कमी है , वह मुक्ति - लाभ नहीं कर सकेगा । सदाचार जिस समाज में होगा , उसकी सामाजिक नीति बहुत अच्छी होगी । जहाँ की सामाजिक नीति उत्तम होगी , वहाँ की राजनीति अनुत्तम हो , संभव नहीं । सब सदाचारी होंगे, तो समाज अच्छा होगा । अच्छे समाज जब राजनीति को बनाएँगे , तो वह कितनी अच्छी होगी ! यह मेरी युक्ति नहीं , बाबा देवी साहब की है । उन्होंने यह युक्ति १९०९ ई० में बतलाई थी ।

गुरु महाराज भक्तों सहित
गुरुदेव भक्तों सहित
     4. सुल्तानगंज से पश्चिम बरियारपुर रेलवे स्टेशन के पास पुरुषोत्तमपुर बिलिया एक ग्राम है । वहाँ प्रेम दास नाम के मेरे एक प्रेमी साधु रहते थे । वे मुझे अपनी कुटिया में बुलाकर सत्संग करवाए । अंग्रेजों का समय था । कांग्रेस का दमन हो रहा था संयोग से दारोगा साहब उसी ओर आ पहुँचे । देखा कि सामियाना टंगा है । चौकीदार को कहा कि साधु को बुलाओ । प्रेम दास गए । दारोगाजी ने पूछा- ऐ साधु ! क्या हो रहा है ? प्रेम दास ने उत्तर दिया- मेरे गुरु – साधु महाराज आए हैं , सत्संग होगा । ईश्वर का नाम लेंगे , उन्हें याद करेंगे । दारोगा साहब दफादार को वहीं छोड़ गए । दफादार सत्संग सुनकर बोले ऐसा सत्संग हो तो चोरी - डकैती सब बंद हो जाय । हमलोगों को पहरा भी नहीं देना पड़े । मैंने उनसे कहा आप तो समझे , अब दारोगा साहब को जाकर कहिए । सत्संग में पाँच पाप - झूठ , चोरी , नशा , हिंसा और व्यभिचार छोड़ने के लिए कहते हैं । अगर सब सदाचारी बन जाएँगे , तो वहाँ झगड़ा मिट जाएगा । मुकदमा वगैरह भी नहीं होगा । शासन अच्छा हो जाएगा । शासनकर्ता को बहुत सुविधा होगी । इसलिए आपलोगों से प्रार्थना है कि अपने देश को ऊँचा उठाने के लिए सदाचारी बनिए । 


सत्संग का लाभ


    15. जिस किसी देश में यह सत्संग होगा , जिस देश में ईश्वर के मानने में हिचक नहीं है , उसके लिए फायदा है । सब राष्ट्र एक हों , जैसे मुंगेर , भागलपुर आदि अलग - अलग जिलों में रहकर भी एक देश के हैं , ऐसा मानते हैं । उसी प्रकार अलग - अलग देश में रहकर भी अगर अपने को एक मानें तो लड़ाई - झगड़ा सब मिट जाय । जबतक अपने को अलग - अलग मानेंगे , तबतक लड़ाई होती रहेगी । नदी के दोनों पार में एक ही देश के लोग हैं इसी तरह से एक देश से दूर तक समुद्र में चलकर जो दूसरा देश कहलाता है , वह भी तो इसी भूमंडल का देश है । दोनों देशों के लोग एक ही भूमंडल में हैं । दोनों को एक ही भाव से रहना चाहिए । हम दोनों देश के सब अपने ही हैं , ऐसा जानें तो सब लड़ाई झगड़ा मिट जाएँ । ०


{  1. हमलोग संतमत का सत्संग करते हैं । यह सत्संग हमलोगों को ईश्वर की भक्ति सिखलाता है । ईश्वर की भक्ति से सब दुःख दूर हो जाएंगे । इसी आशा को लेकर हमलोग सत्संग करते हैं । साथ ही अगर सत्संग के ख्याल के मुताबिक रहेंगे तो शातिपूर्वक रहेंगे । शातिपूर्वक रहने का नमूना ठीक - ठीक प्रत्यक्ष उनलोगों को होता है , जो मन बनाकर सत्संग के अनुकूल रहते हैं । इसी जन्म में मोक्ष प्राप्त कर लें और अगर मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकें तो फिर दूसरे जन्म में काम को खतम करें ; इसीलिए सत्संग है । इहलोक - परलोक दोनों को सुधारने के लिए हम सत्संग करते हैं तथा लोगों को भी करने के लिए कहते हैं । इसी ईश्वर - भक्ति के संबंध में थोड़ा - सा कहूँगा , जैसी मेरी शिक्षा है , जैसा मैं जानता हूँ ।








     प्रभु प्रेमियों ! सत्संग ध्यान के क्रमानुसार परिचय के अन्तर्गत  ध्यान 01 के इस पोस्ट का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि सत्संग की परिभाषा, सत्संग के कार्य, सत्संग का महत्व, सत्संग किसे कहते हैं?  दुर्लभ सत्संग, सत्संग के प्रकार, सत्संग महिमा, सत्संग कथा, सत्संग संतवाणी,  इत्यादि बातें। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का संका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस प्रवचन के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।



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सत्संग 01 सत्संग किसे कहते हैं? satsang kise kahate hain? || सत्संग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सत्संग 01  सत्संग किसे कहते हैं?  satsang kise kahate hain?  ||  सत्संग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी Reviewed by सत्संग ध्यान on 11/13/2021 Rating: 5

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