जप स्पेशल ध्यानाभ्यास
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*मोक्षपर्यंत ध्यानाभ्यास* का नवम्बर माह *जप स्पेशल मास* के रूप में बिताया जाएगा।
अतः सभी सत्संग प्रचारक साधु - महात्मा, साध्वी-साधिकाओं एवं सत्संग ध्यान में रूचि रखने वाले महापुरुषों से विनम्र निवेदन है कि वो अपनी जानकारी के अनुसार जप से संबंधित संतवाणी से पुष्टि किया गया प्रवचन, प्रवचन का अंश, लेख, मैसेज आदि किसी भी रूप हमारे *वाट्सऐप नंबर 7547006282 पर मैसेज या विडियो के लिंक के रूप में शेयर करें।* इन मैसेज या प्रवचन को *'सत्संग ध्यान' यूट्यूब चैनल* पर सत्संग के समय उनके नाम के साथ प्रसारित किया जाएगा।
पूरे नवम्बर माह में मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास के सभी साधक रोजाना कितना जप करते हैं। इसकी काउंटींग भी करें। जप काउंटिंग करने के लिए आप एक कॉपी ले लें और एक कलम की सहायता से एक बार जाप करें और एक पॉइंट बना दे और उसको एक सिलसिले बार ढंग से सजाते हुए पूरे पृष्ठ पर लिखें या पॉइंट दें; अथवा माला ले ले अथवा कोई मशीन ले ले जिसमें आपको सुविधा हो, आप उसके सहारे पूरे नवम्बर माह के प्रत्येक दिन के जाप का गिनती करते हुए जाप करें। *जप माला या जप गिनती करने वाले मशीन के लिए "सत्संग ध्यान स्टोर"* से संपर्क कर सकते हैं ।
अपने एक कापी में रोजाना उपरोक्त चित्र के अनुसार कितना जप किस- किस समय किया हैं उसे लिखते जाएं। किस समय के ध्यानाभ्यास में कितना जप किये वह भी लिखें। खाते पीते, काम- धंधा करते कितना जप किये वह भी लिखये।
जो साधक जितना अधिक जप करेंगे, उनको गुरु महाराज की ओर से *स्वत: ही दिव्य पुरस्कार* प्राप्त होगा। आप खुद महसूस करेंगे कि अन्य ध्यानाभ्यास के अपेक्षा आप इस माह के ध्यानाभ्यास में क्या पायें है। पुस्कार में अधिक संभावना है कि आपके रुके काम पूरे हो जाएं। बहुत दिनों से ईच्छित कामना पूरा हो जाए। 'गुरु जाप जपन साचों तप सकल काज सारणं । ' पदावली।,
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*जप स्पेशल ध्यानाभ्यास*
की तैयारी के लिए
*आवश्यक निर्देश*
1, भोजन की व्यवस्था
जप ध्यान आप सही ढंग से कर सकें इसके लिए भोजन का व्यवस्था बिल्कुल सही रूप में होना चाहिए । आपको मात्रा से भोजन करना चाहिए। समय पर भोजन चाहिए और यह सारा व्यवस्था आपको स्वयं खुद ही करना है।अगर आपका कोई सहयोग करने वाला नहीं है। तो आप थोड़ा सत्तू रखें, थोड़ा भुजा रखें और उसका स्टॉक इतना रखें कि एक महीना तक चल जाए । एक दिन में आप कितना भोजन करते हैं उससे थोड़ा कम ही भोजन करें। इस बात को आप जहां पर भोजन करते हैं वहां पर जगह-जगह लिखकर करके टांग दें । जिससे हमेशा आपको इस बात का स्मरण होता रहे। भोजन करते समय आपको जानकारी रहे कि हमको थोड़ा कम ही खाना है और ऐसा भोजन करना है जिससे आपका स्वास्थ्य अनुकूल रहै, ठीक रहे । इसके लिए आपको खुद अनुभव करना है कि कौन सा भोजन करने से आपका मन प्रसन्न रहता है, पेट साफ रहता है, शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है, अगर आपको इस संबंध में अनुभव नहीं है जानकारी नहीं है तो कोई भी भोजन करें थोड़ा कम ही खाएं और विचार करें कि चार-पांच घंटे के बाद आपकी मानसिक स्थिति शारीरिक स्थिति कैसी है? क्योंकि कोई भी सामान्य भोजन चार से पांच घंटे के बाद अपना असर शरीर पर दिखाता है। और इस अनुभव को आप अपने डायरी में लिख ले या दिमाग में सेट कर लें कि यह भोजन हमारे अनुकूल है और यह भोजन हमारे प्रतिकूल है आगे इसी के अनुसार आचरण करते रहें।
सब जगह चना का सत्तू तो नहीं मिलता है तो वहां कोई फल वगैरा हो या वहां जो चीज उपलब्ध हो वह अपने अनुकूल स्वयं विचार करके उसकी व्यवस्था कर ले। जिससे कि उनका समय पर वह भजन निश्चित रूप से मिल जाए । किसी के अधीन नहीं रहना है । अगर समय पर बना भोजन मिलता है तो ठीक है, नहीं तो उपवास या अपने पास उपलब्ध भोजन कर लेना चाहिए। कई बार सेवक नहीं काम करेगा तो आपको परेशानी हो जाएगी और आपका जप ध्यान में बाधा हो जाएगा । इसलिए भोजन का व्यवस्था निश्चित रहना चाहिए और उसकी मात्रा भी निश्चित कर लीजिए कि कितना भोजन करना है आपको रोजाना उससे ज्यादा भोजन नहीं करें।
2. आजकल मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है इसलिए एक मच्छरदानी अवश्य रखें। उसे साफ सुथरा रखें पानी का व्यवस्था रखें । अगर शुद्ध गंगाजल आपके पास है तो उस गंगाजल में थोड़ा सा कपूर नाम मात्र का 1 से 2 ग्राम के लगभग एक-डेढ़ लीटर पानी में डालकर करके इस पानी को भोजन के 1 या 2 घंटे के बाद पिए । इससे आपका पेट साफ रहेगा ! यह बात हमने गुरु सेवी भगीरथ बाबा के प्रवचन में सुना था गुरु महाराज ने एक सत्संगी महिला को यह बात बताई थी। हमने भी इसका प्रयोग किया और हमको भी काफी लाभ हुआ है । ऐसा करने से पेट साफ रहता है भूख भी लगता है । अगर किसी को यह अनुकूल नहीं है। इससे कोई नुकसान होता है तो एक दिन करने के बाद इसे छोड़ सकता है। भीमसेनी कपूर का उपयोग करना है।
3. भोजन में आमला का व्यवस्था अवश्य रखें, क्योंकि आजकल इंटरनेट का रेडिएशन शरीर पर बहुत प्रभाव डालता है। इससे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है लेकिन यह ऐसा व्यवस्था हो गया है कि आप नहीं भी चाहेंगे तब पर भी आपको इस रेडिएशन में रहना ही पड़ेगा ! क्योंकि हर जगह रेडिएशन व्याप्त हैं। इसका रिएक्शन खत्म करने के लिए आपको रोजाना दो बड़े-बड़े आमला अवश्य खाना चाहिए । चाहे उसको आप मुरब्बा के रूप में खाएं, चटनी बनाकर खाएं, आचार बनाकर खाएं या किसी भी तरह से खाएं लेकिन दो अमला रोजाना (24 घंटे में) आपको सेवन अवश्य करना चाहिए। इससे आपकी आंख की रोशनी और रेडिएशन दोनों से बचाव होता है। आपको भोजन के बाद रोज एक छोटा सा हरड़ भी अवश्य खाना चाहिए।
4. जिनको ध्यान अभ्यास में बैठने में काफी दर्द वगैरह होने लगता है, वायु का प्रकोप ज्यादा है, वैसे लोगों को खट्टा दही, कढी वगैरह नहीं खाना चाहिए। लेकिन आमला खटाई के अंतर्गत नहीं आता है इसलिए अमला खाना नहीं छोड़ना है । इसके साथ ही हमारे पास एक तेल है उसको आप मंगा सकते हैं और उसका 5 से 10 बूंद आटा में डाल कर रोटी बनाकर खाने से या अपने सत्तू में डाल कर खाने से वायु रोग में काफी आराम रहता है। इससे आपको गठिया बाय और दर्द से संबंधित बातों में काफी राहत मिल सकती है । लेकिन यह काफी महंगा है 100 ग्राम का हजार रुपया लग जाएगा। इसके लिए 7547006282 नंबर के वाट्सऐप पर मैसेज करें। फोन कौल ना करें। अथवा अपने डॉक्टर से उचित सलाह ले।
5. ध्यान अभ्यास कार्यक्रम में जलपान प्राय 8:00 बजे से 9:00 बजे के बीच में होता है जलपान में आप चिनिया बादाम, मूंग, चना इत्यादि खनिज संयुक्त पदार्थों को अंकुरित रूप में लेकर और कुछ नमकीन वगैरह या भुजा वगैरह लेकर करके उसके साथ में खा सकते हैं। उसकी मात्रा का ध्यान अवश्य रखें और 10 से 10:30 के बीच में पानी पी ले जलपान करने के तुरंत बाद पानी न पिए। इससे ध्यान अभ्यास के समय आपको लघु शंका या पेशाब की तलब नहीं होना चाहिए । क्योंकि पानी पीने के बाद 20 -30 मिनट के बाद आप लघु शंका कर लेंगे और 11:00 बजे दिन में ध्यान अभ्यास करना है इसी तरह से 12:00 से 12:30 बजे दिन तक दिन का भोजन होता है और भोजन के साथ पानी नहीं पीना होता है तो एक घंटे बाद अर्थात् 1:30 बजे आपको पानी पीना चाहिए। इससे अपराह्न कालीन ध्यानाभ्यास में फ्रेस रहेंगे। रात्रि कालीन भोजन 8 से 9 बजे के बीच होता है तो 10:00 बजे आपको पानी पीकर और त्रिफला खाकर सो जाना चाहिए। इससे आप सुबह जल्दी जग जाएंगे आपका पेट वगैरह भी साफ रहेगा। मन में स्फूर्ति भी बनी रहेगी। प्रत्येक बार भोजन करते समय मात्रा का ध्यान रखें और मात्रा से ज्यादा भोजन नहीं करें और एक्स्ट्रा कुछ ना खाएं तो अच्छा है। दवाई या कोई पौष्टिक पेय सुबह 6:00 बजे एक कप चाय के बराबर पी सकते हैं। भोजन में इससे ज्यादा पूरे 24 घंटा में और कुछ ना खायें।
क्रमशः
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