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वार्तालाप 1 रोजाना 3:00 बजे हम लोग क्यों नहीं जग पाते हैं ? प्रेरक प्रसंग

वार्तालाप 1

     आज एक साधक से बात हुई जो 3:00 बजे नहीं जग सका था उन्होंने कहा कि अलार्म बजता रहा लेकिन फिर भी हमारी नींद नहीं खुली और 3:00 बजे के बाद हमारी नींद खुली।  यहां प्रस्तुत है *इस वार्तालाप का कुछ महत्वपूर्ण अंश*  जो सभी साधकों के लिए प्रेरक प्रसंग के समान है।

ध्यान करते हुए गुरु महाराज महर्षि मेँहीँ
ध्यान करते हुए गुरु महाराज

 
     समझने की बात है, हमारे साथ भी ऐसा ही होता है। हम भी आजकल  घंटी बजती रहती है पर नींद नहीं खुलती है? घंटी बजती-बजती बंद हो जाती है, लेकिन नींद नहीं खुलती है। जब नींद खुलती है तो ध्यानाभ्यास का समय बीत चुका होता है या बहुत कम समय बचा रहता है।
      इसका सबसे बड़ा कारण हमको यह समझ में आता है कि ना तो समय पर भोजन हो पाता है, ना मात्रा से भोजन कर पाते हैं, और ना ही समय पर सोते हैं। कई बार नींद ही नहीं आती है और जब सोने का समय खत्म हो जाता है तब नींद आ जाती है। ऐसी स्थिति में अलार्म बजता रहता है, घंटी बजती रहती है पता ही नहीं चलता है कि अलार्म बज रहा है, घंटी बज रही है इतनी गहरी नींद आती है  और फिर अचानक जब हमारी नींद खुलती है, तब लज्जा आती है  कि हम समय पर नहीं जग पाए। *विचारने की बात है कि अगर इस लज्जा को हम हल्का में लेंगे, तो हमारा संस्कार ऐसा ही बन जाएगा और हम कभी भी समय पर नहीं जग पायेंगे या कभी कभार ही समय पर जगेंगे। अगर हम इस समय दृढ़ संकल्प करें कि आगे से हम इस गलती को नहीं दोहराएंगे और उस पर सावधान होकर सतत प्रयासरत रहेंगे तो आगे से  हमारे साथ ऐसी गलती नहीं होगी और हम बहुत जल्दी समय पर जगने लग जाएगें ।*  हम समय पर भोजन कर लेगें या बहुत हल्का भोजन ले सकते हैं, मात्र से भी कम भोजन ले सकते हैं; शरीर के कमजोरी को दूर करने के लिए कोई अन्य औषधि का उपयोग कर सकते हैं जो हमको नींद और आलस से बचा सकता है। *भोजन की मात्रा सही रहने से और शरीर हल्का रहने से हम समय पर जग सकते हैं और ध्यान अभ्यास के समय हमको नींद भी नहीं आएगी।* नहीं तो प्रायः साधक ध्यान करने के नाम पर बैठे-बैठे सो कर  समय बिताते हैं इसीलिए बहुत सारे साधक बहुत दिनों से ध्यान अभ्यास कर रहे हैं लेकिन उनका आध्यात्मिक उन्नति नहीं हो पाती है। ध्यान में वे आगे नहीं बढ़ पाते हैं। और इस ध्यानाभ्यास के प्रति  उत्साहित नहीं होते हैं। और यह नहीं समझ पाते हैं कि हमलोग जो संतमत सत्संग की साधना करते हैं इससे हमें अपार लाभ मिल रहा है। *इतना लाभ  जितना लाभ दुनिया के करोड़ काम करके भी हम नहीं पा सकते।* 'कोटी त्यक्तवा हरि भजेत्। '

     अगर आपको रोज सुबह 3:00 बजे के पहले जगना है तो 10:00 बजे के आसपास सो जाना चाहिए 5 घंटा अगर नींद  हो जाता है तो उससे काम चल जाता है। इतना ही नहीं  हम लोगों को सब दिनचर्या  को ठीक करना पड़ेगा और यह बड़ा कठिन लगता है। कई बार व्यवस्था नहीं रहता है कई बार आदमी साथ नहीं देता है ।  सब काम अकेले नहीं कर पाते हैं और कामों को करते हैं तो दूसरे जगह डिस्टर्ब हो जाता है ।   समय एक ही है । तो बहुत तरह से सोच विचार करके व्यवस्था संभालना पड़ता है फिर भी जितना हो सकता है अपना प्रयास समय पर करते रहिए। ऐसे साधक पर गुरु महाराज की कृपा होगी, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा ।  लेकिन हम लोगों को प्रयास करते रहना है ।  यह भी ध्यान अभ्यास का एक अंग है ।  प्रत्याहार है। हम रोज समय पर जग जाए अगर इसमें भी सफलता मिल जाती है तो समझे कि बहुत बड़ी बात हो जाएगी और इससे भी छोटा-मोटा मनोकामना पूरा हो जाता है। सौभाग्य की वृद्धि होती है। साधना में सफलता की ओर हम आगे बढ़ते हैं।

     इस सितंबर (https://happybirthdaytosant.blogspot.com/2024/05/sitambar-santamat-satsang-dhyaan-kaaryakram.html  इस लिंक से ध्यानाभ्यास कार्य क्रमों की जानकारी ले सकते हैं।)
माह में कई जगह ध्यान अभ्यास का आयोजन हो रहा है और हर जगह के लोग उत्साहित हैं और चाहते हैं कि **हम भी ध्यान अभ्यास में भाग लेकर अपना लोक-परलोक का सुधार करें। लेकिन फिर भी जो लोग इन कार्यक्रमों में भाग नहीं ले पा रहे हैं उन लोगों के लिए ऑनलाइन ध्यान अभ्यास में भाग लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।**  इसमें भी आप लोग जितना समय मिलता है उतने समय आप ध्यान अभ्यास और सत्संग में भाग ले सकते हैं *सत्संग ध्यान* यूट्यूब चैनल से जुड़कर के । इस चैनल पर पांचो समय का ध्यान अभ्यास और तीनों समय का सत्संग कार्यक्रम का रोजाना प्रसारण होता है। सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल का लिंक-
https://www.youtube.com/@SatsangDhyan?subscribe=1

वार्तालाप 1 रोजाना 3:00 बजे हम लोग क्यों नहीं जग पाते हैं ? प्रेरक प्रसंग वार्तालाप 1  रोजाना 3:00 बजे हम लोग क्यों नहीं जग पाते हैं ? प्रेरक प्रसंग Reviewed by सत्संग ध्यान on 9/06/2024 Rating: 5

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