वेद-उपनिषद, गीता-रामायण, भागवत-गुरु ग्रंथ आदि धर्म ग्रंथों एवं सभी पहुंचे हुए संतों की वाणीयों से प्रमाणित सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के वचनों द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, गुरु आदि धार्मिक विचारों का स्टेप बाय स्टेप वर्णन का ब्लॉग।
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आक के पौधे का विभिन्न बीमारियों में विविध तरह के उपयोग || Various uses of Aak.
प्रभु प्रेमियों! सत्संग ध्यान के क्रमानुसार परिचय में आपका स्वागत है । आज हम सीखेंगे- आक के पौधे का विभिन्न बीमारियों में विविध तरह के उपयोग।
आक के पौधा
विविध रोगों में आक का प्रयोग
1. आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड़ कर कान में डालने से आधा सिर दर्द जाता रहता है। बहरापन दूर होता है। दाँतों और कान की पीड़ा शांत हो जाती है।
2. आक के कोमल पत्ते मीठे तेल में जला कर अण्डकोश की सूजन पर बाँधने से सूजन दूर हो जाती है। तथा कडुवे तेल में पत्तों को जला कर गरमी के घाव पर लगाने से घाव अच्छा हो जाता है। एवं
3. पत्तों पर कत्था चूना लगा कर पान समान खाने से दमा रोग दूर हो जाता है। तथा हरा पत्ता पीस कर लेप करने से सूजन पचक जाती है।
4. आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है। आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है।
5. दूध पीते बालक को माता अपनी दूध में देवे तथा मदार के फल की रूई रूधिर बहने के स्थान पर रखने से रूधिर बहना बन्द हो जाता है।
आक का दूध लेकर उसमें काली मिर्च पीस कर भिगोवे फिर उसको प्रतिदिन प्रातः समय मासे भर खाय 9 दिन में कुत्ते का विष शाँत हो जाता है। परंतु कुत्ता काटने के दिन से ही खावे ।
आक का दूध पाँव के अँगूठे पर लगाने से दुखी हुई आँख अच्छी हो जाती है।
6. बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं। बरें काटे में लगाने से दर्द नहीं होता। चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है।
7. जहाँ के बाल उड गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं। तलुओं पर लगाने से महिने भर में मृगी रोग दूर जाता है।
8. आक के दूध का फाहा लगाने से मुँह का लक्वा सीधा हो जाता है।
आक की छाल को पीस कर घी में भूने फिर चोट पर बाँधे तो चोट की सूजन दूर हो है तथा
आकी जड को दूध में औटा कर घी निकाले वह घी खाने से नहरू रोग जाता रहता है।
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आक के पौधे का विभिन्न बीमारियों में विविध तरह के उपयोग || Various uses of Aak.
Reviewed by सत्संग ध्यान
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4/08/2023
Rating: 5
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गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
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