5.31.2024

सत्संगG1 सत्संग संबंधित सूक्तियाँ || सत्संग क्यों करते हैं? Why do we do satsang?

सत्संगG1 या सत्संग संबंधित सूक्तियाँ

     प्रभु प्रेमियों  !  सूक्तियाँ, चौक-चौराहा पर लिखे हुए उस बोर्ड के समान है, जो दिशा सूचक का काम करता है। यात्री अपने गंतव्य पर जाते समय रास्ते में जब संकित हो जाता है कि हमें किधर चलना चाहिए ? आगे कैसी स्थिति है? रास्ता क्लियर है या नहीं? किस दिशा में जाने पर हम जल्दी अपने गंतव्य पर पहुँच पायेंगे इत्यादि बातों से  तब ये दिशा-सूचक बोर्ड बहुत सहायक होता है।  हमारे जीवन रूपी पथ पर चलते समय संत-महात्माओं के सूक्तियाँ इन्हीं दिशा-सूचक, सावधानी सतर्कता के बोर्ड के समान है लिए कुछ महापुरुषों के विषय सुख संबंधी सूक्तियों का पाठ करें--

संतवाणी का महत्व, सद्गुरु महर्षि मेँहीँ, सत्संग-सुधा ३१५, दिल्ली, 3-3-1970 ई.
संतवाणी का महत्व

असली दीक्षा क्या है? सद्गुरु महर्षि मेँहीँ, सत्संग-सुधा ३१५, दिल्ली, 3-3-1970 ई.
असली दीक्षा क्या है? 


सत्संग क्यों करते हैं?
सत्संग क्यों करते हैं? 

सत्संग का आथार क्या है?
सत्संग का आथार

सत्संग प्रेम
सत्संग प्रेम 
 





संतमत साहित्य📚 सूची 


नीति-वचन
नीति-वचन
     प्रभु प्रेमियों !  उपर्युक्त सूक्तियों के जैसा ही हजारों सूक्तियों का संग्रह "नीति सार, सुभाषित संग्रह, मानस की सूक्तियां आदि छोटी-छोटी पुस्तकों में किया गया है। इन सभी पुस्तकों का मूल्य कम है। आप इन सूक्तियों की पुस्तकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन में "सत्संग ध्यान स्टोर" से मंगा सकते हैं।  सूक्तियों के सभी प्रकाशित पुस्तकों को एक साथ देखने के लिए  👉 यहाँ दवाएँ। 

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