गुरु बनाना क्यों जरूरी है
प्रभु प्रेमियों ! पिछले 4 लेखों में हम लोग जान चुके हैं कि सत्संग के द्वारा हमें यह जानकारी होती है कि इस संसार में मनुष्य किसी भी तरह सुखी नहीं हो सकता। (परिचय01, )परम सुख प्राप्त करने के लिए हमें ध्यान योग के द्वारा ईश्वर भक्ति करके (परिचय02,) ईश्वर को प्राप्त करना चाहिए। (परिचय03) ईश्वर प्राप्ति कैसे होगी? (परिचय04) इस विषय का ज्ञान हमें संत सद्गुरु से प्राप्त होता है। अतः इस पोस्ट में जानेंगे कि संत सद्गुरु किसे बनाना चाहिए? संत सद्गुरु के क्या लक्षण हैं गुरु कैसे बनाना चाहिए, गुरु कब बनाना चाहिए, गुरु दीक्षा विधि, गुरु बनाने के नियम, गुरु की आवश्यकता क्यों है, सतगुरु का अर्थ, गुरु किसको बनाना चाहिए, गुरु दीक्षा के नियम, गुरु कैसा होना चाहिए, सद्गुरु का महत्व, गुरु को प्रणाम कैसे करना चाहिए आदि बातें।
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सद्गुरु महर्षि मेंही और सहजोबाई के वचन |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु बनाना इसलिए जरूरी है कि बिना गुरु के हम नहीं जान सकते कि हमें क्या करना है ? क्या नहीं करना है? जिस विषय में हम जानकारी चाहते हैं या हम जो मंजिल चाहते हैं उस मंजिल को, प्राप्त किए हुए जो व्यक्ति होते हैं। उन्हें उसे प्राप्त करने में क्या-क्या कठिनाई हुई है? और क्या-क्या सुविधा कहां-कहां से प्राप्त हुआ है? इन सारी बातों की जानकारी होती है ।अगर हम उनसे सहायता लें या उनकी जानकारी का लाभ लें तो हम सहज में ही अपनी मंजिल को पा लेंगे और हमें अधिक परिश्रम और कठिनाई से बचाव भी होगा।
भक्तिन सहजोबाई के वचन में है -
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भक्तिन सहजो बाई |
सहजो कारज जगत के, गुरु बिन पूरे नाही।
हरि तो गुरु बिन क्यों मिले, समझ देख मन माही।।भक्ति ने सहजोबाई कहती हैं कि जब संसार के कोई भी काम बिना गुरु की सहायता से नहीं हो सकता है। तो परमात्मा को प्राप्त करना, जो मनुष्य शरीर का सबसे बड़ा प्राप्तव्य है, वह बिना गुरु के कैसे हो सकता है ? इस बात को समझो या विचारों। इसलिए गुरु की आवश्यकता बहुत ही है। सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज कहते हैं-
बिना गुरु की कृपा पाए, मनुष्य का उद्धार नहीं है ।कल्याण नहीं है । वह किसी भी काम में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। बिना जानकारी के आप क्या करेंगे ? इसलिए सत्संग ध्यान के बारे में बहुत ही सोच समझकर गुरु बनाना चाहिए । क्योंकि जो पहुंचे हुए गुरु हैं। वही आप को पार लगा सकते हैं।
प्रभु प्रेमियों हम आपको संतों की बाणीयों का प्रमाण देते हुए बताएंगे कि- गुरु किसे बनाना चाहिए? गुरु कैसा होना चाहिए ? उसकी क्या पहचान है ? क्योंकि किसी चीज का पहचान करना भी बहुत कठिन है? जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते हैं? उसकी पहचान हम कैसे कर सकते हैं । यह बहुत ही कठिन और गंभीर विषय है । ईश्वर की कृपा से ही किसी को यह पहचान करने की शक्ति भी प्राप्त होती है और सच्चे सद्गुरु भी मिलते हैं। हम लोगों का कर्तव्य है कि उसके बारे में जानकारी प्राप्त करें। गुरु से संबंधित हर तरह की जानकारी आपको प्राप्त हो जाए। यहां गुरु महाराज का एक प्रवचन दे रहे हैं । जिसे देख कर कुछ ज्ञान प्राप्त करें।
विशेष जानकारी के लिए आप हम से जुड़े रहें । समय निकाल-निकाल कर मैं थोड़ा-थोड़ा पोस्ट करता हूं । मैं यहां मोक्ष पर्यंत चलने वाले ध्यानाभ्यास में भाग लिया हूं और जो गुरु महाराज के वचनों द्वारा कुछ अनुभव युक्त जानकारी होती है उसी को आप लोगों से शेयर करता हूं। जय गुरु
हम आशा करते हैं । गुरु से संबंधित कुछ बातों की जानकारी आपको हो गई होगी । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। तब तक के लिए जय गुरु महाराज ! !
अधिक जानकारी के लिए हम दूसरे पोस्ट में गुरु से संबंधित और बातें बताएगे। उस पोस्ट को पढ़ने के लिए यहां दवाएं।
अधिक जानकारी के लिए हम दूसरे पोस्ट में गुरु से संबंधित और बातें बताएगे। उस पोस्ट को पढ़ने के लिए यहां दवाएं।
परिचय05, गुरु क्यों आवश्यक है? बिन गुरु भजन न चैन रे। सांसारिक और आध्यात्मिक गुरु
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
1/15/2020
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